महिला अधिकार पर संगोष्ठी आयोजित


रायबरेली। इतिहास में महिलाओं की उपलब्धियों के सम्मान के रूप में अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। उत्तर प्रदेश महिला कल्याण निदेशालय के निर्देशन में 3 मार्च से कार्यक्रमों का आयेाजन चल रहा है। जिसके अनुक्रम में जिला सत्र न्यायालय में महिला अधिवक्ताओं ने बार में एक संगोष्ठी का आयेाजन किया जिसकी अध्यक्षता सेण्ट्रल बार एसोसिएशन की उपाध्यक्ष अलका राजपूत एडवोकेट ने किया। मुख्य अतिथि के रूप में बाल कल्याण समिति के सदस्य मिलिंद द्विवेदी ने अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर लैंगिक समानता के बारे में जागरूकता बढ़ाने और महिला सम्बन्धी कानूनो के माध्यम से उनके अधिकारों को दिलाने की बात कही। उन्होने कहा कि आप अपनी ताकत के साथ खड़े रहे और अपनी कीमत को पहचाने और कभी भी अपनी योग्यता से कम पर समझौता न करें। आप अपने साहस को कमतर न समझे।

यह अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस 3-8 मार्च तक मनाया जाता है। अलका राजपूत ने कहा कि 8 मार्च 1975 से युनाइटेड नेसन ने महिला दिवस मनाना शुरू किया था। अंजू वर्मा ने कहा कि इसमें समान हक सम्मान को लेकर जागरूक करने के लिए यह दिवस मनाया जाता है। जिससे महिलाये अपने अधिकार के जागरूक हो। नेत्रा सिंह ने कहा कि पहला महिला दिवस 1907 में मनाया गया था। शालिनी पाण्डेय ने बताया कि 2022 के आकड़े बताते है कि विश्व में 3.95 अरब महिलायें है और 4 अरब पुरूष है। जोकि लैगिक असमानता को प्रेषित करता है। नव चयनित लोकपाल (मनरेगा) सरिका शुक्ला ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में 2024 की थीम ‘महिलाओ में निवेश, और प्रगति में तेजी’ यह थीम प्रत्येक वर्ष अलग अलग रखी जाती है। संगोष्ठी में अनामिका सिंह, प्रिया सिंह, अमरीन, सारिका शुक्ला, अनामिका कुमारी, मंजुला तिवारी आदि काफी संख्या में महिला अधिवक्ता उपस्थित थी।

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