मिठाई दुकानदार की बेटी कई संघर्षों के बाद बनी IAS अफसर,पढ़िए ज्योति की कहानी

 

हर साल लाखों की संख्या में अभ्यर्थी यूपीएससी की परीक्षा देते हैं.लेकिन इस परीक्षा में सफल वही हो पाते हैं जो कड़ी मेहनत के साथ सही रणनीति अपनाते हैं. हर साल भारत के कोने-कोने में अभ्यार्थी कोचिंग क्लासेज में यूपीएससी की तैयारी के लिए जाते हैं. वहीं कुछ ऐसे भी अभ्यर्थी होते हैं जो बिना कोचिंग है इस परीक्षा को पास कर दिखाते हैं और लोगों के लिए मोटिवेशन बन जाते हैं.

इस परीक्षा को पास करने के लिए आपके पास आत्मविश्वास का होना भी अति आवश्यक है. कुछ लोग इस परीक्षा को एक बार में पास कर दिखाते हैं, तो कुछ ऐसे भी होते हैं जो 3-4 अटैम्प में यह परीक्षा पास करते हैं.

आज हम आपको बिहार के भागलपुर के कहलगांव में रहने वाली ज्योति कुमारी की कहानी बताने वाले हैं. ज्योति के पापा बिहार के भागलपुर में अपने गांव में ही मिठाई की दुकान चलाते हैं. ज्योति ने 2017 में यूपीएससी में 53 वा रैंक हासिल किया. उन्होंने इस परीक्षा को पास करने के दौरान कई संघर्षों का सामना किया लेकिन कभी हार नहीं माना और आईएएस अफसर बन गई.

ज्योति बताती हैं कि वह बचपन से डॉक्टर बनना चाहती थी. लेकिन जब वह 10th की परीक्षा दी तक वह आईएएस अफसर बनने का सपना देखने. उसके बाद ज्योति 12वीं की तैयारी रांची से की. रांची से 12वीं करने के बाद वह यूपीएससी की तैयारी के लिए दिल्ली चली गई. दिल्ली में उन्होंने इतिहास से ग्रेजुएशन किया. ज्योति ने इस दौरान पॉकेट खर्च निकालने के लिए बच्चों को ट्यूशन पढ़ाया. बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने के साथ-साथ उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी.2014 में परीक्षा में 524 वीं रैंक आई. कम रैंक आने के कारण वह थोड़ी मायूस हो गई. लेकिन वह हार नहीं मानी और तैयारी करने लगी.

नौकरी के साथ-साथ तैयारी जारी रखी. ज्योति अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता को देती हैं. उनकी मां शोभा देवी उनके पिता का दुकान चलाने में सहयोग करती हैं. ज्योति कुमारी ने साबित कर दिया कि अगर सच्चे दिल से कोई काम पर हो तो सफलता अवश्य मिलती है.

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