जिस लड़के को कान से कम सुनाई देने के कारण नहीं मिल पाई थी चपरासी की नौकरी, वह बना अफसर

कहते हैं अगर इंसान सच्चे दिल से कोशिश करें तो उसके लिए कुछ भी मुश्किल नहीं होता. मन से की गई मेहनत कभी बेकार नहीं होती है और इंसान को ऊंचाइयों तक पहुंचाती है. कई बार लोग किसी की मजाक उड़ाते हैं और उसकी काबिलियत नहीं जानते हैं लेकिन बाद में उन्हें पछताना पड़ता है.

आज हम आपको हरियाणा के एक ऐसे लड़के की कहानी बताने वाले हैं, जिसे एक समय में चपरासी की नौकरी नहीं मिली क्योंकि उसके कानों से कम सुनाई देता था. कानों से कम सुनाई देने के कारण उसे दुत्कार कर भगा दिया गया और नौकरी नहीं दी गई.

मगर इस व्यक्ति ने अपनी मेहनत और काबिलियत से खुद को बुलंदी पर पहुंचाया और आईएएस अफसर बनकर दिखाया. हम आपको आज बताने वाले हैं हरियाणा के मेवात के रहने वाले मनीराम शर्मा की कहानी. मनीराम मूल रूप से अलवर के छोटे से गांव के रहने वाले हैं.

मनीराम के पिता मजदूरी करते थे जिससे जैसे तैसे उनका घर चलता था. वह खुद भी बहुत ही कम सुन पाते थे और उनकी मां अंधी थी. उनके घर में कोई स्कूल नहीं था जिसके वजह से वह 5 किलोमीटर पैदल चलकर पढ़ने जाते थे. मनीराम ने 10वीं और 12वीं में टॉप किया जिसके बाद उनके पिता वीडियो के पास गए और उन्हें चपरासी की नौकरी देने की अपील की. ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर ने उनके पिता को डांट कर भगा दिया और कहा कि तुम्हारा बेटा बहरा है उन्हें नौकरी नहीं मिलेगी.

जब मनीराम के पिता ने अपने बेटे को सच्चाई बताई तब
बेटे ने कहा कि आप दुखी मत हो, मैं और ज्यादा पढूगा और एक दिन बड़ा अफसर बनकर दिखाऊंगा. उसके बाद वह आगे की पढ़ाई के लिए अलवर आ गए. उसके बाद मनीराम आईएएस की तैयारी करने लगे और उन्होंने 2005,2006,2009 तीनों साल आईएएस की परीक्षा पास की. हर बार बहरे होने के कारण उन्हें नौकरी नहीं मिल पाती थी.

हार मान कर उन्होंने अपने कान का ऑपरेशन कराया. कान का ऑपरेशन कराने में ₹80000 का खर्च आया. ₹80000 खर्च करने के बाद 2009 में मनीराम शर्मा ने यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली और अफसर बन गए.

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