सफेद रंग का ही क्यों होता है बाथरूम में लगा कमोड और बेसिन? जानिए क्या है वजह

नई दिल्ली। जब सबसे साफ सुधरे कलर की बात आती है तो दिमाग में बस सफेद ही आता है, लेकिन यह अच्छा तभी लगता है जब साफ हो. सफेद रंग की कोई भी चीज अगर गन्दी हो जाती है तो फिर उसे इस्तेमाल करने से पहले सोचना पड़ता है क्योंकि वह आखों को अच्छी नहीं लगती है. पर ऐसी जगह जहां सफेद चीज का गंदा होना तय है और सफाई भी बहुत जरूरी है वहां इसका इस्तेमाल क्यों किया जाता है. इसके पीछे की साइंस क्या है.

आज हम बात कर रहे हैं कि बाथरूम में लगे बेसिन और कमोड के कलर की. ये सफेद ही क्यों लगाए जाते हैं इसके पीछे का राज क्या है जो किसी और कलर के नहीं लगाए जाते हैं. आज जहां भी गए होंगे वहां आपने यह चीज नोटिस भी की होगी कि यह सफेद ही लगे होंगे. 5 स्टार होटल से लेकर रेलवे स्टेशन के बाथरूम तक में यह सफेद ही होते हैं.

अब इसके सबसे बड़े साइंटिफिक कारण की बात करते हैं. दरअसल कमोड और बेसिन को सिरेमिक से बनाया जाता है. सिरेमिक का ऑरिजनल कलर सफेद ही होता है. अगर किसी और रंग के कमोड या बेसिन बनाने होंगे तो उसमें कलर मिलाना पड़ेगा. अगर कलर मिलाते हैं तो उस कलर के कारण उसकी क्वालिटी लो हो जाती है. इसलिए इन्हें सफेद रंग का ही बनाया जाता है. हालांकि बावजूद इसके कुछ कंपनियां इन्हें पिंक, यलो, नीले और हरे रंग में भी बनाती हैं, लेकिन डिमांड सबसे ज्यादा सफेद रंग की ही होती है.

सिरेमिक जिसे आप आसान भाषा में चीनी मिट्टी के नाम से जानते हैं, इसे विशेष प्रकार की मिट्टी से बनाया जाता है. इसका प्रयोग टाइल्स, कमोड और बर्तन बनाने के लिए भी किया जाता है. आपको बता दें सिरेमिक या पोर्सिलेन को सिलिका, एलुमिना, मैग्नीशिया, बोरान ऑक्साइड और ज़र्कोनियम आदि को मिलाकर तैयार किया जाता है.

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