आखिर सबसे पहले किसने लिया था चाय का ज़ायका, और कब हुई थी खोज

‘चाय’… जिसके जरिए लोगों के दिन की शुरुआत होती है, कुछ लोगों के लिए चाय एक नशा बन चुका है। चाय एक ऐसी चीज है जिसे दुनिया में पानी के बाद सबसे ज्यादा पी जाती है। क्या आप जानते हैं कि इसकी खोज कैसे हुई थी..?

बेहद कम लोगों को इस बात के बारे में पता होगा कि उनके घरों में बनने वाली चाय किस तरह दुनिया का पसंद बन गई। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो लगभग 4700 साल पहले यानी 2700 ईसा पूर्व चाय की खोज हो चुकी थी लेकिन तब यह सिर्फ शाही पेय हुआ करती थी। इसे सिर्फ राजा ही पीते थे।

चाय को लेकर बहुत सारी कहानियां है, इतिहास के किताबों में लिखा है कि सबसे पहले शंग वंश के समय में चाय की शुरुआत यूनान नाम की एक जगह से हुई थी लेकिन उस समय ये सिर्फ मेडिकल ड्रिंक थी। एक कथा के अनुसार क़रीब 2700 ईसापूर्व चीनी शासक शेन नुंग बग़ीचे में बैठे गर्म पानी पी रहे थे।

तभी एक पेड़ की पत्ती उस पानी में आ गिरी जिससे उसका रंग बदला और महक भी उठी। राजा ने चखा तो उन्हें इसका स्वाद बड़ा पसंद आया और इस तरह चाय का आविष्कार हुआ। 1824 में बर्मा (म्यांमार) और असम की सीमांत पहाड़ियों पर चाय के पौधे पाए गए।

अंग्रेज़ों ने चाय उत्पादन की शुरुआत 1836 में भारत और 1867 में श्रीलंका में की। पहले खेती के लिए बीज चीन से आते थे लेकिन बाद में असम चाय के बीज़ों का उपयोग होने लगा। भारत में चाय का उत्पादन मूल रूप से ब्रिटेन के बाज़ारों में चाय की मांग को पूरा करने के लिए किया गया था।

आपको बता दे कि भारत में भी चाय किसी जड़ी-बूटी से कम नहीं माना जाता है। सिर दर्द है तो कड़क चाय, सर्दी खांसी है तो अदरक की चाय, यहां तक कि सुस्ती दूर करनी हो तो भी चाय ही काम आती है। चाय यहां की रोजमर्रा की जिंदगी में रच और बस चुकी है।

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