विदेश

अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव अमेरिकी संसद में पारित

वॉशिंगटन : अमेरिकी संसद के निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स में गुरुवार को एक विधेयक पारित किया गया। इस विधेयक में अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (ICC) पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव है। अब यह विधेयक अमेरिकी संसद के उच्च सदन सीनेट में भेजा जाएगा। अमेरिकी संसद ने यह विधेयक आईसीसी (इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट) द्वारा इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और इस्राइल (israel) के पूर्व रक्षा मंत्री याओव गैलेंट के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी से नाराज होकर पारित किया है। अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय ने गाजा युद्ध के चलते इस्राइली पीएम और पूर्व रक्षा मंत्री के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था।

अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय पर प्रतिबंध के लिए ‘इलेजिटीमेट कोर्ट काउंटरैक्शन एक्ट’ नामक विधेयक पेश किया गया, जिसे निचले सदन में 243 के मुकाबले 140 के बहुमत से पारित कर दिया गया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, निचले सदन में 45 डेमोक्रेट सांसदों ने और 198 रिपब्लिकन सांसदों ने विधेयक का समर्थन किया। किसी रिपब्लिकन सांसद ने इस विधेयक का विरोध नहीं किया। अब यह विधेयक सीनेट में जाएगा, जहां पर भी रिपब्लिकन पार्टी का बहुमत है। प्रस्तावित विधेयक के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका और इसके सहयोगियों द्वारा संरक्षित किसी भी व्यक्ति की जांच, गिरफ्तारी या उसके खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय द्वारा मुकदमा चलाना प्रतिबंधित कर दिया गया है। साथ ही अमेरिकी या इसके सहयोगियों के खिलाफ मुकदमा चलाने में मदद करने वाले व्यक्ति या संस्था पर भी प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव है। साथ ही उस व्यक्ति या संस्था की अमेरिका में संपत्ति को जब्त करने और उस व्यक्ति या संस्था से जुड़े लोगों को अमेरिका का वीजा जारी करने को भी प्रतिबंधित किया गया है।

अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय ने मई 2023 में इस्राइली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू और पूर्व रक्षा मंत्री याओव गैलेंट को गाजा में हमले के लिए युद्ध अपराध का आरोपी बनाते हुए गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय नीदरलैंड के हेग में स्थित है। यह न्यायालय युद्ध अपराध, मानवता के खिलाफ अपराध, नरसंहार और उग्र अपराध के मामलों में सुनवाई करता है। फलस्तीन साल 2015 से आईसीसी का सदस्य है। इस्राइल आईसीसी का सदस्य नहीं है और किसी सदस्य देश की सीमा के भीतर ही आईसीसी का न्यायाधिकार है।

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