अमरनाथ यात्रा का पहला जत्था Jammu Base Camp से रवाना, रिकॉर्ड 62 दिन तक चलेगी

बालटाल: अमरनाथ यात्रा हिंदुओं की पवित्र धार्मिक यात्राओं में से एक है। इस बार अमरनाथ यात्रा 1 जुलाई से 31 अगस्त तक रहेगी, यानी पूरे दो महीने। ऐसा सावन का अधिक मास होने के कारण होगा। (Amarnath Yatra 2023) 30 जून, शुक्रवार की सुबह उप राज्यपाल और अमरनाथ श्राइन बोर्ड के अध्यक्ष मनोज सिन्हा ने अमरनाथ यात्रियों के पहले जत्थे को रवाना किया। पहले दिन 2189 श्रद्धालुओं को बालटाल रास्ते के लिए टोकन जारी किया गया। मान्यता है कि भगवान अमरनाथ के दर्शन के 23 तीर्थों के दर्शन का पुण्य मिलता है। आगे जानिए बाबा अमरनाथ से जुड़ी खास बातें…

तीर्थयात्रियों का पहला जत्था दक्षिण कश्मीर हिमालय में भगवान शिव के 3,880 मीटर ऊंचे गुफा मंदिर में दर्शन करेगा. 62 दिवसीय तीर्थयात्रा 1 जुलाई को कश्मीर से दो मार्गों से शुरू होगी. अनंतनाग जिले में पारंपरिक 48 किलोमीटर लंबा नुनवान-पहलगाम मार्ग और गांदरबल जिले में 14 किलोमीटर छोटा बालटाल मार्ग. अमरनाथ की आगे की यात्रा के लिए 3,500 से ज्यादा तीर्थयात्री जम्मू पहुंचे.

सुरक्षा के लिए सीआरपीएफ का कवर दिया गया

ये जत्था सबसे पहले बालटाल और पहलगाम के बेस कैंप पहुंचेगा, वहां से यात्रा औपचारिक रूप से शनिवार को शुरू होगी. बालटाल और पहलगाम रूट से बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए आगे बढ़ेगा. भगवती नगर बेस कैंप में और उसके आसपास कड़ी सुरक्षा व्यवस्था रखी गई है. तीर्थयात्रियों को ले जाने वाला काफिले को भी सुरक्षा कवर दिया गया है. सीआरपीएफ के जवान मुस्तैद रहेंगे और सुरक्षा देंगे. इलाके में सेना और पुलिस का नियंत्रण रहेगा.

एलजी ने तीर्थयात्रियों की व्यवस्थाओं की समीक्षा की

इससे पहले उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने गुरुवार रात बेस कैंप का दौरा किया और तीर्थयात्रियों के लिए की गई व्यवस्थाओं की समीक्षा की. अमरनाथ श्राइन बोर्ड के अध्यक्ष सिन्हा ने सुरक्षा व्यवस्था, संयुक्त नियंत्रण कक्षों के कामकाज, लंगर स्टॉल्स, पंजीकरण काउंटरों, बिजली और पानी की आपूर्ति, स्वास्थ्य सुविधाओं और स्वच्छता की समीक्षा के अलावा तीर्थयात्रियों के भोजन और आवास का जायजा लिया.

उन्होंने परिवहन सुविधाओं, स्वास्थ्य कर्मचारियों की तैनाती, अग्निशमन वाहनों और आपातकालीन सेवाओं की भी समीक्षा की.

ऑन द स्पॉट रजिस्ट्रेशन की सुविधा

सिन्हा ने बेस कैंप में देशभर से आए तीर्थयात्रियों का भी स्वागत किया. शहर प्रशासन ने गुरुवार को तीर्थयात्रा के लिए यहां पहुंचने वाले अपंजीकृत तीर्थयात्रियों और साधुओं के मौके पर ही पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू की. शहर के शालीमार इलाके में अपंजीकृत तीर्थयात्रियों के लिए ऑन-द-स्पॉट पंजीकरण केंद्र बनाया गया है. वहीं, पुरानी मंडी स्थित राम मंदिर परिसर में साधुओं के पंजीकरण के लिए एक विशेष शिविर लगाया गया है.

उपमंडल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) नर्गेश सिंह ने बताया कि देश के सभी हिस्सों से यहां आने वाले अपंजीकृत तीर्थयात्रियों और साधुओं का पंजीकरण यहां काउंटर पर शुरू हो गया है. उपायुक्त अवनी लवासा ने कहा कि पूरे जम्मू में 33 आवास केंद्र स्थापित किए गए हैं, जबकि पंजीकरण केंद्रों पर ‘रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन’ (आरएफआईडी) टैग जारी किए जाएंगे.

आयुक्त ने कहा कि सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त हैं. जिला प्रशासन तीर्थयात्रियों के स्वागत के लिए पूरी तरह तैयार है. तीर्थयात्रियों के तत्काल पंजीकरण के लिए वैष्णवी धाम, महाजन सभा, पंचायत घर में पांच काउंटर और साधुओं के पंजीकरण के लिए गीता भवन और राम मंदिर में दो काउंटर स्थापित किए गए हैं.

तीर्थयात्रियों को पंजीकरण केंद्र पर ही आरएफआईडी टैग प्रदान किया जाएगा, जो तीर्थयात्रियों के परमिट के साथ अनिवार्य है. यात्रा के लिए अब तक 3 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने अपना ऑनलाइन पंजीकरण कराया है.

हेलमेट पहनकर अमरनाथ यात्रा करेंगे श्रद्धालु

यात्रा मार्ग पर लैंडस्लाइड और पत्थर गिरने की घटनाओं को ध्यान में रखकर कुछ हिस्सों को संवेदनशील माना गया है. यहां से गुजरने पर यात्रियों को हेल्मेट पहनना अनिवार्य किया गया है. जो श्रद्धालु खच्चर का इस्तेमाल करेंगे, उनके लिए भी हेल्मेट जरूरी है. यह हेल्मेट श्राइन बोर्ड की तरफ से निशुल्क उपलब्ध करवाया जाएगा.

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