कैंडिडेट से पैसे लेकर ही दी 10 दिन की सैलरी, 300 बेरोजगारों से ठग लिए 40 लाख

कोरबा. शिक्षित बेरोजगार युवकों को नौकरी दिलवाने का झांसा देकर ठगी का मामला सामने आया है. ठगों ने आउटसोर्सिंग पर कोल सेम्पलिंग करने वाली एक ठेका कंपनी में नौकरी दिलाने के नाम पर झांसा देकर ठगी को अंजाम दिया. पुलिस ने ऐसे ही एक गिरोह का भांडाफोड़ किया है. प्रारंभिक तौर पर ठगी का यह मामला 40 लाख रुपए से अधिक का है और ठगों ने तीन सौ से अधिक बेरोजगार युवकों को चूना लगाया है.

फर्जीवाड़ा के शिकार होने वाले युवाओं में भारी आक्रोश है. नाराज युवाओं ने शुक्रवार की शाम मानिकपुर चौकी का घेराव किया और आरोपी प्रमोद राउत के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. ठगी के शिकार अशोक यादव ने बताया कि उन्होंने एमएसके कंपनी में नौकरी के लिए 12 हजार रुपए रिश्वत दी थी. रिश्वत अशोक ने अपने रिश्तेदार के माध्यम से दिया था. तीन महीने बाद एसएसके कंपनी की ओर से कोरबा के ट्रांसपोर्टनगर स्थित एक लोकसेवा केंद्र पर बुलाया गया. वहां उसे जूता टोपी और ऑफर लेटर के अलावा एमएसके कंपनी का परिचय पत्र दिया गया.

ऑफर लेटर के अनुसार अशोक को प्रतिमाह 18 हजार रुपए वेतन एमएसके की ओर से दिया जाना था. 21 सितंबर को अशोक की जॉइनिंग थी, लेकिन इसके पहले ही कंपनी का भांडा फूट गया. अशोक ने अपने अलावा दो अन्य रिश्तेदारों को भी आउटसोर्सिंग कंपनी में नौकरी लगाने के लिए 15-15 हजार रुपए दिये हैं. ठगी की यह घटना सामने आने के बाद अशोक की चिंता बढ़ गई है.

मानिकपुर चौकी पहुंचे युवकों ने बताया कि प्रमोद राउत ने अलग-अलग माध्यमों से ठगी की है. कुछ लोगों ने उसे नकद रुपया दिया है. कुछ युवकों ने पे फोन या अन्य माध्यमों से. ठगी के संबंध में एक युवक ने मानिकपुर चौकी में रिपोर्ट दर्ज कराई है. इसमें बताया गया है कि गिरोह ने 600 से 800 बेरोजगार युवकों को निशाना बनाया है.

कोरबा के एएसपी अभिषेक वर्मा ने बताया कि ठगी के शिकार बेरोजगार युवकों की सूची पुलिस तैयार कर रही है. इस बीच पुलिस ने प्रमोद राउत को गिरफ्तार कर लिया है. शुक्रवार की शाम आरोपी को कोरबा की एक कोर्ट में पेश किया गया. यहां से रिमांड पर जेल भेज दिया गया. आरोपी प्रमोद पश्चिम बंगाल का मूल निवासी है और कोरबा में अस्थायी तौर पर रहता है.

बेरोजगार युवकों को अपना शिकार बनाने के लिए आरोपी प्रमोद यादव और उसके गिरोह ने कोल सेम्पलिंग कंपनी में काम करने वाले कुछ कर्मचारियों का सहारा लिया. इन कर्मचारियों की मदद से कंपनी में सीट खाली होने की खबर बेरोजगार युवकों के बीच फैलाई. प्रतिमाह 18 हजार रुपए वेतन देने का झांसा दिया. सोची समझी रणनीति के तहत युवकों की जॉइनिंग 21 सितंबर के बाद दी गई ताकि बेरोजगारों को आठ से दस दिन का वेतन दिया जा सके.

प्रमोद ने नौकरी लगाने के नाम पर बेरोजगार युवकों से जितनी राशि की ठगी की; उसका एक हिस्सा उन्हें काम पर रखकर वेतन के तौर पर दिया. इससे बेरोजगार युवाओं को भरोसा हो गया कि कंपनी सही है. बेरोजगार युवकों ने बड़ी संख्या में रोजगार के लिए एमएसके के कर्मचारी प्रमोद राउत से सम्पर्क किया. उसने नौकरी की मांग करने वाले प्रत्येक युवक से दस से हजार लेकर तीस हजार रुपए लिए. इसके पहले की प्रमोद फरार होता, बेरोजगार युवकों ने उसका भांडा फोड़ दिया.

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