पितृपक्ष में न करें पितरों को नाराज, इन उपायों से मिलेगा उनका आशीर्वाद, होगी तरक्की!

अयोध्या. सनातन धर्म में पितृ पक्ष का बड़ा महत्व है. धार्मिक मान्यता के मुताबिक, पितृपक्ष में श्राद्ध पिंडदान और तर्पण का किया जाता है, ताकि पितरों की कृपा साल भर बनी रहे. पितृ पक्ष में विधि विधान पूर्वक श्रद्धा कम करने से पितृ प्रसन्न होकर अपने परिजनों को आशीर्वाद देते हैं. ये भी माना जाता है कि यदि परिजन पितृपक्ष में श्राद्ध कर्म नहीं करते तो पितृ इसे तिरस्कार समझते हैं.

पितृपक्ष में पितरों की नाराजगी से जातक को कई तरह की परेशानियां झेलनी पड़ती हैं. पितृ के नाराज होने से घर में अनेक प्रकार की अशुभ घटनाएं होती हैं. पितृपक्ष भाद्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के साथ शुरू होकर कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि तक चलता है. इस साल पितृपक्ष 15 दिनों तक होगा, पितृपक्ष की शुरुआत 28 सितंबर से हो रही है, जो 14 अक्टूबर तक चलेगी.

अयोध्या के प्रकांड विद्वान पवन दास शास्त्री बताते हैं कि सनातन धर्म में पितृपक्ष का बड़ा महत्व है. पितृपक्ष में लोग अपने पितरों को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के उपाय करते हैं. इतना ही नहीं, पितृपक्ष के दरमियान पितरों का पिंडदान, तर्पण, श्राद्ध करने का भी विधान बताया गया है. पितरों को प्रसन्न करने के लिए कुछ उपाय करने से पितृ जल्द प्रसन्न होते हैं. ये बहुत कठिन नहीं हैं.

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