बाढ़ की 66 घटनाओं में 372 लोगों की मौत, 2400 घर ढहे, भूस्खलन पीड़ित ने कहा- इस बुरे वक्त से गुजरने से बेहतर मौत

हिमाचल प्रदेश: हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश का दौर भले ही थम गया हो, लेकिन तबाही का दौर और दुश्वारियां थम नहीं रहीं। शुक्रवार को 60 घंटे बाद भी कुल्लू-मनाली और लाहौल घाटी का सड़क संपर्क कटा रहा। कुल्लू-मंडी नेशनल हाईवे के अलावा सभी वैकल्पिक मार्ग तीसरे दिन भी बंद रहे। बद्दी को पिंजौर से जोड़ने वाला पुल पूरा ध्वस्त हो गया। पंडोह डैम के आसपास फंसे करीब 200 वाहनों और लोगों को निकालने के लिए प्रयास जारी हैं।

वहीं इस बीच भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के मुताबिक, पूर्वोत्तर भारत और सिक्किम में अगले दो-तीन दिनों तक अलग-अलग स्थानों पर भारी बारिश होगी। इसके साथ ही, 26 और 27 अगस्त को गंगीय पश्चिम बंगाल, झारखंड, ओडिशा और बिहार में भारी बारिश होने के आसार है। अगले एक सप्ताह के दौरान देश के बाकी हिस्सों में हल्की बारिश की संभावना है।

6000 घरों के निर्माण की मंज़ूरी
वहीं, केंद्रीय सूचना प्रसारण एवं युवा व खेल मामलों के मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर शुक्रवार को नई दिल्ली में केंद्रीय ग्रामीण विकास व पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह से मिले। उन्होंने बाद में कहा कि 2700 किलोमीटर के 254 परियोजनाओं के लिए 2372.59 करोड़ रुपये की मंज़ूरी भी केंद्र द्वारा मिल चुकी है। ठाकुर ने ग्रामीण विकास व पंचायती राज मंत्री से भेंट के दौरान आज प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के अन्तर्गत हिमाचल प्रदेश में आपदा प्रभावित पात्रों के लिए 6000 घरों के निर्माण की मंज़ूरी दिये जाने के लिए उनका आभार प्रकट किया।

इस बुरे वक्त से गुजरने से बेहतर मौत
हिमाचल प्रदेश में भूस्खलन से पीड़ित लोग इस बुरे अनुभव को कभी न भूलने वाला दु:स्वप्न करार दे रहे हैं। भूस्खलन से प्रभावित प्रोमिला ने कहा, ‘‘इस बुरे वक्त से गुजरने से बेहतर मौत होगी क्योंकि जीवन में उम्मीद की कोई किरण नजर नहीं आ रही है।” प्रोमिला यहां भूस्खलन का शिकार हुई एक इमारत में रहती थीं, जहां उनका एक कमरा ढह जाने से उन्होंने अपना सब कुछ खो दिया।

मुझे अपनी मां के इलाज के लिए पैसे की बहुत जरूरत
23 अगस्त की सुबह हुए भूस्खलन से एक इमारत आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गई, जिसमें प्रोमिला अपनी बीमार मां के साथ रहती थीं। यह इमारत इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज अस्पताल (आईजीएमसीएच) के नजदीक है। अपना दर्द बयां करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘मैं अपनी 75 वर्षीय मां के साथ रहती हूं जो कैंसर से पीड़ित हैं और 2016 से उनका इलाज जारी है। मैं राम नगर के बाजार में एक दुकान में नौकरी करती थी, जहां पिछले सप्ताह मुझे हटा दिया गया क्योंकि मंदी के कारण ग्राहक नहीं थे।” प्रोमिला कहती हैं, ‘‘मैं वीरवार की रात आईजीएमसीएच में सोई क्योंकि मेरे पास जाने के लिए कोई जगह नहीं थी।” प्रोमिला के भाई-बहन या पिता नहीं हैं और वह अपने पति से भी अलग हो चुकी हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं नौकरी की तलाश में हूं और यहां तक कि मैं साफ-सफाई और झाड़ू-पोछा भी करने को तैयार हूं क्योंकि मुझे अपनी मां के इलाज के लिए पैसे की बहुत जरूरत है।”

बता दें कि इस मानसून सीजन में 24 जून से 25 अगस्त तक 372 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। इनमें से 126 की सड़कों हादसों में मौत हो गई। कुल 349 घायल हुए हैं। राज्य में 2400 घर ढह हो गए हैं। 10338 को आंशिक नुकसान पहुंचा है। इसके अतिरिक्त 303 दुकानों व 5133 गोशालाओं को भी नुकसान हुआ है। मानसून सीजन के दौरान अब तक 8468.25 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो चुका है। अब तक राज्य में भूस्खलन की 156 और अचानक बाढ़ की 66 घटनाएं सामने आई हैं।

नोट: अगर आपको यह खबर पसंद आई तो इसे शेयर करना न भूलें, देश-विदेश से जुड़ी ताजा अपडेट पाने के लिए कृपया The Lucknow Tribune के  Facebook  पेज को Like व Twitter पर Follow करना न भूलें... -------------------------
E-Paper