यात्रियों को इस स्टेशन पर मिलेंगी एयरपोर्ट जैसी सुविधाएं, दिया जा रहा नया लुक, 150 साल पुराना है इतिहास

नई दिल्ली. बेंगलुरु कैंट देश के सबसे पुराने रेलने स्टेशनों में से एक है. शहर की बढ़ती ट्रांसपोर्टेशन की जरूरतों के मद्देनजर इस स्टेशन को मेकओवर दिया जा रहा है. स्टेशन को नया रूप देने के लिए केवल एक एजेंसी को ही जवाबदेह बनाया गया है ताकि काम जल्द-से-जल्द निपटाया जा सके. इस प्रोजेक्ट को खत्म करने के लिए 36 महीने की डेडलाइन दी गई है. इसके निर्माण का काम दिल्ली वरिंदरा कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया है. इस स्टेशन का रीडेवलप्मेंट 2 चरणों में पूरा किया जाएगा.

पहले चरण में यार्ड का काम पूरा किया जाएगा. इसमें करीब 45 करोड़ रुपये का खर्च आएगा. 4 नए प्लेटफॉर्म बनाए जाएंगे और 3 अतिरिक्त लाइन बिछाई जाएंगी ताकि रेलों की बढ़ने वाली संख्या को संभाला जा सके. इससे केएसआर बेंगलुरू स्टेशन का कुछ बोझ कम होगा. इसके अलावा एक फुट ओवर ब्रिज भी बनाया जाएगा. यार्ड की रीमॉडलिंग फरवरी 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.

दूसरे चरण में स्टेशन की बिल्डिंग को दोबारा से बनाया जाएगा. इसको एक एयरपोर्ट टर्मिनल की तरह विकसित किया जाएगा. इसके रीडेवलपमेंट पर करीब 480 करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है. इसे एक सिटी सेंटर की तरह तैयार किया जाएगा जहां ट्रेनों की आवाजाही के अलावा अन्य कई व्यापारिक गतिविधियां भी होंगी. नई बिल्डिंग में मौजूदा इमारत की हैरिटेज वाली छाप को बरकरार रखा जाएगा.

इस स्टेशन को बेंगलुरू की विरासत को संरक्षित करते हुए मॉर्डन लुक दिया जाएगा. स्टेशन की छत को साइन वेव की फॉर्म में बनाया जाएगा जो गति (मोशन) व प्रगति को दर्शाएंगी. बेंगलुरु की गार्डन सिटी की छवि को बनाए रखने के लिए छत को सपोर्ट देने वाले पिलर्स जहां छत को जोड़ेंगे वहां एक फूल की आकृति बनाएंगे. अलग-अलग पिलर्स को जोड़ने वाले स्ट्रक्चर बांसुरी का आकार बनाएंगे. कैंट स्टेशन रोड को स्टेशम से दूर किया जाएगा ताकि बाहर का आवागमन सुगम हो सके.

बेंगलुरू कैंट स्टेशन का परिचालन 1860 में शुरू हुआ था. इस स्टेशन की शुरुआत के करीब 150 साल बाद इसे मेकओवर दिया जा रहा है. इस स्टेशन के रीडेवलप्मेंट का शिलान्यास 2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था.

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