इस विधि और मुहूर्त में महिलाएं करें शीतला अष्टमी व्रत, निरोगी रहेगा परिवार

अयोध्या: हिंदू धर्म में शीतला सप्तमी का बड़ा महत्व माना जाता है. होली के सातवें दिन पढ़ने वाले इस त्यौहार को लोग बड़े हर्षोल्लास के साथ विधि-विधान पूर्वक मनाते हैं. इतना ही नहीं कई जगह इसे बांसोड़ा पूजा भी कहा जाता है.

दरअसल हिंदू पंचांग के मुताबिक चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की शीतला सप्तमी और अष्टमी 14 और 15 मार्च को पड़ रही है. इस दिन विधि-विधान पूर्वक मां शीतला की पूजा आराधना करने से आरोग्य का वरदान मिलता है. इसके साथ ही गंभीर बीमारियों से मुक्ति भी मिलती है. इतना ही नहीं अच्छी सेहत पाने के लिए मां शीतला का व्रत रखना जरूरी माना जाता है. साथ ही इस दिन बासी और ठंडा खाना खाने का प्रावधान भी है.

ज्योतिषाचार्य पंडित कल्कि राम बताते हैं कि होली के सातवें दिन शीतला सप्तमी का पर्व मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के मुताबिक इस बार 14 मार्च को रात 8:22 से शीतला सप्तमी की शुभ मुहूर्त प्रारंभ हो रही है जिसका समापन 15 मार्च शाम 6:45 बजे होगा. इस बार शीतला अष्टमी का पर्व 15 मार्च को मनाया जाएगा. जिसमें पूजा करने का शुभ मुहूर्त है सुबह 6:30 बजे से लेकर शाम 6:30 बजे तक रहेगी. शीतला अष्टमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान ध्यान कर विधि-विधान पूर्वक माता शीतला की पूजा आराधना करें. इसके साथ 1 दिन पहले बनाए गए भोजन का भोग लगाएं उसके बाद शीतला माता की कथा का अवलोकन करें शीतला स्रोत पाठ का जप करें.

पौराणिक ग्रंथों की मानें तो जो भी महिलाएं शीतला अष्टमी का व्रत रखती हैं. उनका पूरा परिवार निरोगी रहता है. इस दिन घर में चूल्हा नहीं जलाया जाता. इस दिन पूरे घर के लोग बासी खाने का सेवन करते हैं. इस दिन महिलाओं को चाहिए विधि-विधान पूर्वक माता शीतला का व्रत करें. माता शीतला की कथा जिससे सुख समृद्धि की वृद्धि होती है. शीतला व्रत की एक और पौराणिक मान्यता है इस दिन माता शीतला को बासी खाने का भोग लगाया जाता है. कहा जाता है कि इसी दिन के बाद गर्मी का मौसम शुरू हो जाता है. इस वजह से इस दिन बासी खाने का भोग लगाया जाता है. इस पूजा को बासोड़ा पूजा भी कहा जाता है.

 

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