एक सफाई कर्मचारी के बेटे ने इंडियन आर्मी में ऑफिसर बनकर पूरा किया पिता का सपना।

बच्चों की सफलता देखकर माता-पिता खुद को सफल मानते हैं‌। बच्चों को सफलता के पग पर अग्रसर देखना हर एक माता पिता का सपना होता है। कुछ ऐसी ही अनुभूति उत्तर प्रदेश के एक सफ़ाई कर्मचारी को भी हुई है। यह खुशी उनके बेटे ने भारतीय सेना में ऑफिसर बनकर दिया है। उत्तरप्रदेश (Uttar Pradesh) के सफाई कर्मचारी बिजेन्द्र कुमार (Bijendra Kumar) के 21 वर्षीय बेटे सुजीत कुमार (Sujit Kumar) ने भारतीय सेना में अधिकारी बनकर पिता का सर गर्व से उंचा कर दिया है। साथ ही चंदौली के बसिला गांव से ऐसी उपलब्धि हासिल करने वाले पहले व्यक्ति भी बन गए हैं। सुजीत देहरादून के इंडियन मिलिट्री अकेडमी (IMA) से ग्रेजुएट हुए।

बिजेन्द्र कुमार (Bijendra Kumar) जो एक सफाई कर्मचारी है और अपने बेटे की सफलता पर 10 वर्ष पहले का किस्सा याद करते हुए कहते हैं कि जब मैने गांव वालों के सामने कहा था, “मैंने झाडू उठाई है लेकिन मेरा बेटा बंदूक लेकर देश की सेवा करेगा’। इस बात पर सभी लोगों ने उनका मजाक बनाया था। कुछ लोगों ने यह भी कहा था, ‘इतना बड़ा मत सोचो’ लेकिन बिजेन्द्र कुमार ने किसी के भी बातों पर गौर न करके अपने बेटे को पढ़ने के लिए राजस्थान भेजा। उन्होंने अपने बेटे को ऑफिसर बनाने के लिए कड़ी मेहनत किये और नतीजतन शनिवार 12 जून को बिजेन्द्र का सपना पूरा हुआ जब उसका 21 वर्ष का बेटा सुजीत देहरादून के इंडियन मिलिट्री अकेडमी (IMA) से ग्रेजुएट हुए।

सुजीत की दिली तमन्ना थी कि इस अवसर पर वे अपने माता-पिता के चहरे पर गर्व की छलक देख सकें लेकिन कोरोना सुरक्षा नियमों के कारण कैंडिडेट्स के परिवार को पासिंग आउट परेड समारोह में सम्मिलित होने की अनुमति नहीं थी। जिस वजह से सुजीत का परिवार इस समारोह में शामिल नहीं हो सका।

भारतीय सेना में अधिकारी बनने के साथ ही सुजीत चंदौली के बसीला गांव से ऐसी उपलब्धि प्राप्त करने वाले वाले पहले व्यक्ति बन गए हैं। वह आर्मी ऑर्डिेनेंस कॉर्प्स जॉइन करेंगे। सुजीत को उम्मीद है कि उनकी इस उपलब्धि से गांव और क्षेत्र के अन्य युवाओं में भी सेना की वर्दी पहनने की इच्छा बलवती होगी। उनके छोटे भाई-बहन कॉम्पिटिशन की तैयारियों में जुटे हुए है, उनके लिए बड़े भाई सुजीत उनकी रोल मॉडल बन गए है।

बिजेंद्र कुमार के कुल 4 बच्चे है वे उन्हें भी अपने बड़े बेटे सुजीत की तरह पढ़ा लिखा कर काबिल बनाना चाहते है। उनका छोटा बेटा IIT की पढाई करना चाहता है और दो बेटियों में से एक डॉक्टर बनना चाहती है और दूसरी IAS ऑफिसर बनकर समाज की सेवा करना चाहती है। पिता बिजेंद्र कहते है की बच्चों की पढाई के लिए वे उनलोगों के साथ ही बनारस में रहते है और उनकी पत्नी एक आशा कार्यकर्ता है इसलिए उन्हें गांव में ही रहना पड़ता है। बच्चों की शिक्षा और भविष्य के लिए माता-पिता दोनों ही त्याग कर रहे है और अपने बच्चों की उज्जवल भविष्य के लिए हर संभव प्रयाश करेंगे।

सुजीत आर्मी ऑर्डिनेंस कॉपर्स ज्वाइन करना चाहते है। उन्हें आशा है की उनकी इस सफलता से उनके गांव के और प्रदेश के अन्य युवा भी प्रेरित होंगे और उनमे भी भारतीय सेना में जाकर देश सेवा की इच्छा जागृत होगी।

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