जल शक्ति मंत्री की अध्यक्षता में “ई-फ्लो और बाढ़ क्षेत्र प्रबंधन” विषय पर कार्यशाला का किया गया आयोजन
लखनऊः 25 अप्रैल, 2025
जल शक्ति मंत्री श्री स्वतंत्र देव सिंह ने उत्तर प्रदेश की प्रमुख नदियों में पर्यावरणीय-बहाव एवं बाढ़ मैदान क्षेत्रीकरण के कार्यान्वयन (ई-फ्लो और बाढ़ क्षेत्र प्रबंधन) विषय पर आयोजित कार्यशाला के उद्घाटन के अवसर पर कहा कि जल केवल एक संसाधन नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत है। हमें इस विरासत को संजोने के लिए विचार, विज्ञान और संवेदना तीनों की आवश्यकता है। मैं आशा करता हूँ कि आज की कार्यशाला उत्तर प्रदेश में जल प्रबंधन की दिशा में एक नीतिगत मील का पत्थर सिद्ध होगी।
श्री स्वतंत्र देव सिंह ने यह विचार आज यहाँ उतरेटिया स्थित वाल्मी प्रेक्षागृह में वाल्मी और डब्ल्यूडब्ल्यूएफ द्वारा ष्ई-फ्लो और बाढ़ क्षेत्र प्रबंधनष् विषय पर आयोजित कार्यशाला के उद्घाटन अवसर पर व्यक्त किया। श्री स्वतंत्र देव सिंह ने WWF INDIA और वाल्मी संस्थान को इस अत्यंत महत्वपूर्ण विषय ष्ई-फ्लो और बाढ़ क्षेत्र प्रबंधनष् पर कार्यशाला आयोजित करने के लिए हार्दिक बधाई दी, यह आयोजन न केवल प्रासंगिक है, बल्कि हमारी जलवायु और जल संसाधनों की रक्षा हेतु नीतिगत दिशा देने वाला है। इस अवसर पर कार्यक्रम से पूर्व जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले में मारे गये निर्दोष लोगों को श्रद्धांजलि दी गयी।
श्री स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि आज ई-फ्लो (पर्यावरणीय-बहाव ) सुनिश्चित करना इसलिए भी आवश्यक है ताकि नदियों में प्रदूषण कम हो सके, भूजल का पुनर्भरण सुचारू हो, धार्मिक और सामाजिक गतिविधियाँ सुचारू रूप से चल सकें, और सबसे बढ़कर नदी एक जीवंत इकाई के रूप में बनी रह सके। उल्लेखनीय है कि इस दिशा में WWF द्वारा लगभग 5 हजार किलोमीटर नदी क्षेत्र में ई-फ्लो का विस्तृत आंकलन किया गया है, जो इस कार्यशाला में प्रस्तुत किया जाएगा। मैं इस उत्कृष्ट प्रयास के लिए WWF की पूरी टीम को बधाई देता हूँ।
श्री स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि देश की लगभग 17 प्रतिशत नदियाँ हमारे प्रदेश में हैं। यह आंकड़ा यह दर्शाता है कि उत्तर प्रदेश की भूमिका जल-संरक्षण और प्रबंधन में कितनी महत्वपूर्ण है। हमारे प्रदेश में कुल 8 प्रमुख नदी बेसिन हैं- गंगा, यमुना, घाघरा, सोन, रामगंगा, शारदा, राप्ती और गंडक। श्स्वाराश् के माध्यम से इन सभी का बेसिन-स्तरीय प्रबंधन योजना तैयार की गई है, जिसे अब धरातल पर उतारने की ज़रूरत है।
जलशक्ति मंत्री ने कहा कि बाढ़ प्रबंधन केवल एक संकट समाधान नहीं है, यह सतत विकास और नागरिक सुरक्षा का आधार है। प्रदेश में हर वर्ष बाढ़ की विभीषिका से जान-माल की हानि का संकट रहता है। ऐसे में फ्लड-प्लेन जोनिंग की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है, इस कार्य से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की स्पष्ट पहचान होगी, अनधिकृत निर्माण पर रोक लगेगी, आपदा प्रबंधन की तैयारी बेहतर होगी और एक दीर्घकालिक बाढ़ प्रबंधन नीति को लागू किया जा सकेगा।
श्री स्वतंत्र देव सिंह ने इस अवसर पर कहा कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में जल प्रबंधन को राष्ट्रीय प्राथमिकता दी गई है। ष्अमृत सरोवर योजनाष् इसका उदाहरण है। देश भर में 50 हजार सरोवरों के लक्ष्य के सापेक्ष, 68 हजार से अधिक सरोवरों का निर्माण हो चुका है। इसमें उत्तर प्रदेश की भागीदारी सबसे आगे रही है-हमारे प्रदेश में 16 हजार 630 अमृत सरोवर बनाए गए है। यह केवल एक आंकड़ा नहीं, बल्कि हमारी सामूहिक जल चेतना का प्रतीक है। मैं वाल्मी संस्थान द्वारा प्रकाशित तीन पुस्तकों/मैनुअलों के लिए पूरी टीम को बधाई देता हूँ। यह कार्य केवल अनुसंधान तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि इसे जन-भागीदारी और प्रशासनिक इकाइयों तक पहुँचाया जाना चाहिए।
इस अवसर पर जलशक्ति राज्य मंत्री श्री रमकेश निषाद, प्रमुख सचिव सिंचाई एवं जल संसाधन श्री अनिल गर्ग, प्रमुख अभियंता एवं विभागाध्यक्ष श्री अखिलेश सचान, प्रमुख अभियंता (परिकल्प एवं नियोजन) श्री संदीप कुमार, विभिन्न संगठनों के मुख्य अभियंता, आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर तथा डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के प्रतिनिधि उपस्थित थे ।
सम्पर्क सूत्रः अभिषेक सिंह