विशाल भारद्वाज की फिल्म में रॉ एजेंट बन तब्बू ने बिखेरा जलवा, काबिल निर्देशक की असरदार कहानी

रॉ यानि रिसर्च एंड एनलिसिस विंग, इंडिया की सबसे प्रीमियर सीक्रेट सर्विस एजेंसी अब रॉ के लेकर बॉलीवुड, टॉलीवुड और कॉलीवुड, यानि तक भोजपुरी वाली लॉलीवुड में भी सैकड़ों फिल्में बन चुकी हैं। टाइगर बनकर सलमान खान दूसरे देशों में बड़े-बड़े मिशन अंजाम दे देते हैं, पठान बनकर शाहरुख खान तो हर मुल्क में झंडा फहरा आते हैं। कबीर बने ऋतिक रोशन की वॉर के जलवे तो पूछिए ही नहीं। इन मिशन में कटरीना जोया बनकर, दीपिका राबिया बनकर, और अब तो आलिया भी जुड़ गई हैं। पूरे का पूरा स्पाई वर्स बन चुका है, बॉक्स ऑफिस पर नोटों की बरसात हो रही है। मगर रॉ पर बनी इस कहानियों में सच्चाई है, पूरे 0%। दरअसल रॉ के काम करने का तरीका यह है नहीं। उनके एजेंट्स को आप सामने होकर भी पहचान नहीं सकते। बंदूके रखना तो उनके मैनुअल में शामिल ही नहीं है। खून-खराबा करने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता। यह सब हॉलीवुड वाली बॉन्ड और मिशन इंपॉसिबल से इंस्पायर्ड कॉन्सेप्ट हैं, जिनका रियलिटी से दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं है।

डायरेक्टर विशाल भारद्वाज की नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई फिल्म खूफिया उन चुनिंदा फिल्मों में से एक है, जो रॉ के ऑपरेशन और ऑपरेटिव्स की कहानी को वैसे ही दिखाती है, जैसा की असल में होता है। वैसे ये कहानी कैबिनेट सेक्रेटिएट के पूर्व स्पेशल सेक्रेटरी अमर भूषण की फिक्शनल किताब ESCAPE TO NOWHERE पर आधारित है, लेकिन इसका दूसरा सच यह है कि कैबिनेट सेक्रेटिएट ही इंडियन इंटेलीजेंस का हेडक्वॉर्टर है और यह कहानी करगिल वॉर के बाद रॉ में अमेरिकन एजेंसी सीआईए की बड़ी सेंधमारी की सच्ची दास्तां है। जहां, 2004 में रॉ के एक डबल एजेंट को हर पल सर्विलिएंस पर रखने के बाद भी वो गायब हो गया था।

विशाल भारद्वाज ने अपने को-राइटर रोशन नरूला के साथ मिलकर इस कहानी में से कुछ किरदार बदले, कुछ नए जोड़े, लेकिन कहानी को वही रहने दिया। जिसमें रॉ की एक ऑफिसर, कृष्णा मेहरा, जो बांग्लादेश में एक डिप्लोमैट के तौर पर पोस्टेड हैं और उस रूट से आईएसआई की हरकतों पर नजर रखती हैं, रॉ से लीक हुई एक इन्फॉर्मेशन के बाद, उसका एक एसेट यानि खूफिया इन्फॉर्मर मारा जाता है। रॉ से लीक हुई इस इन्फॉर्मेशन की जांच के दौरान शक रवि मोहन पर जाता है, जो यूं तो काम रॉ के लिए करता है, लेकिन असल में रॉ के हाई क्लासिफाइड फाइल्स, सीआईए को देता है। इस इन्फॉर्मेशन के बाद रॉ के ऑफिशियल्स, कृष्णा मेहरा की लीड में रवि की हर हरकत पर निगाह रखती हैं, ताकि उसके साथ, उसके हैंडलर को भी पकड़ा जा सके। मगर इस बीच कुछ ऐसा होता है कि रवि अपनी पूरी फैमिली के साथ गायब हो जाता है, पीछे रह जाती है उनकी पत्नी चारू। अब रॉ ऑफिशियल्स चारू को ट्रेंड करके रवि तक पहुंचना चाहते हैं। ये सब कैसे होता है, क्यों होता है, यही खूफिया की कहानी है।

विशाल भारद्वाज ने खूफिया में वो सारी करामात दिखा दी है, जो उनकी पिछली फिल्मों से गायब था। इस कहानी में बहुत कुछ हो रहा है। हर किरदार, उसकी कहानी, उसकी सोच, उसके रिश्ते और साथ में रॉ का ऐसा ऑपरेशन, जिसे देखकर आप दांतों तले उंगली दबा लेगें। साथ ही खूफिया में पुराने गानों का मजा है, और रेखा भारद्वाज- विशाल भारद्वाज की मौसिकी की ताजगी है। 96 दिनों की इस कहानी को विशाल भारद्वाज ने 2 घंटे 26 मिनट में ऐसे समेटा है, जिसमें सारे किरदारों की खुशबू झलकती है। कृष्णा मेहरा बनी तब्बू के अपने रिश्ते, अपने इन्फॉर्मर के साथ उनके रोमांटिक रिश्ते, उसका गिल्ट, बच्चों से दूरी, मशन मेमं फ्लॉप होने की ठसक, टूटी शादी का अफसासो, तब्बू ने जैसे अहसासों को सागर अपने एक्स्प्रेशन्स में भर लिया है। साथ में चारू बनी विका गब्बी को देखकर, आप एक अलग अहसास में होते हैं। वामिका ने एक खुश बीवी, अकेले कमरे में अपनी बेफिक्री और साथ में पति से धोखा खाने के बाद , एक मां की बेकरारी को जैसे दिखाया है, आपको अहसास होता है कि ये कितनी कमाल की एक्ट्रेस है। रवि बने अली फैजल को भी देखना जैसे लगता है कि ये कितना कमाल का एक्टर है, जिसे हमारे डायरेक्टर्स ने अब तक इस्तेमाल नहीं किया है। खूफिया के तमाम कैरेक्टर्स कमाल है, उनकी कास्टिंग परफेक्ट है। नेटफ्लिक्स पर हाल में रिलीज हुई फिल्मों में खूफिया सबसे उम्दा कहानी है और इसे देखना एक एक्सपीरियंस है।

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